क्या है एसिडिटी / Acidity ?
इंसान के शरीर में तीन तरह के दोष पाए जाते है: वायु, पित्त और कफ। पित्त दोष को ही दरसअल एसिडिटी कहा जाता है | पेट में खाना पचाने के लिए अम्ल यानि एसिड का बहुत बड़ा योगदान होता है। यही अम्ल जब अधिक मात्रा में बनने लगती है तो फ़ूड पाइप के जरिये ये सीने या गले तक पहुंच जाता है, इसलिए जब भी एसिडिटी होता है तो सीने में तेज जलन या फिर गले में जलन होती है और कई बार खट्टी डकारे आती है, उल्टी भी होती है।
एसिडिटी होने का मतलब होता है कि पेट में अम्ल बहुत अधिक मात्रा में बन रहा है और साथ में खाना पूरी तरह से पचा नही है। शुरुआत में सीने में जलन होती है धीरे-धीरे ये जलन गले तक पहुंचने लगती है जिसको GERD (Gastroesophageal reflux disease) या Acid Reflux कहा जाता है । कई बार GERD के मरीज़ के उल्टी में खून आने लगता है, इसका मतलब ये है कि पेट में छोटे घाव या फिर Ulcer बनने लगा है। ऐसे में बिना लापरवाही के तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे । जब जलन गले में अक्सर होने लगती है तो धीरे-धीरे गला भी ख़राब होने लगता है, फिर खांसी और धूल मिट्टी से गले को एलेर्जी होने लगती है।
एसिडिटी (ACIDITY ) के लक्षण :
1. गले या सीने में जलन होना।
2. बार-बार सामान्य या कच्ची डकार आना या गैस बनना।
3. खाना खाने के कुछ देर बाद उल्टी महसूस होना।
4. डकार आने पर खाना फ़ूड पाइप में वापिस आना।
एसिडिटी के प्रमुख कारण :
1. देर रात भोजन करना, अमूमन रात के 8-9 बजे के बाद और भोजन के तुरंत बाद सोने चले जाना।
2. अधिक मात्रा में भोजन करना।
3. बहुत ज्यादा मिर्च- मसाले और अधिक मात्रा में तले हुए भोजन करना।
4. खाने के तुरंत बाद पानी पीना।
5. शारीरिक श्रम ना करना।
6. बहुत अधिक मात्रा में चाय या कॉफ़ी का सेवन करना।
7. बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना।
8. देर रात तक जागना।
9. कब्ज भी एसिडिटी का बड़ा कारण होता है।
एसिडिटी से राहत कैसे पाए ?
1. चाय को कहें अलविदा :
चाय एसिडिटी का सबसे बड़ा कारण है, खासकर सुबह खाली पेट बेड टी। चाय एसिडिक होता है खास कर दूध की चाय। अगर आपको चाय पीने की लत है और आप खाली पेट चाय पी रहे है तो मानकर चलिए आपके एसिडिटी में चाय की सबसे बड़ी भूमिका है। बहुत अधिक मात्रा में चाय पीने से पेट में एसिडिटी बहुत जल्द अल्सर जैसी गंभीर बीमारी में तब्दील हो जाता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, चाय छोड़ दें।
अगर फिर भी आप चाय नहीं छोड़ पा रहे है इसकी मात्रा सीमित रखे, कोशिश करें कि दिन में सिर्फ 2 बार ही पिए, और खाली पेट तो बिलकुल ही न पिए। भोजन के बाद भूलकर भी चाय न पियें। चाय में अजवाइन डाल कर पीने से गैस की संभावना कम होती है।
एक बात ख्याल रहे कि अगर आपको हाइपर एसिडिटी (Hyper Acidity ) की शिकायत है तो चाय आपके लिए ज़हर है, फिर तो चाय छोड़ने के अलावा कोई और उपाय नहीं है।
2. देर रात भोजन करना, अमूमन रात के 8-9 बजे के बाद और भोजन के तुरंत बाद सोने चले जाना ;
अगर आप देर रात खाना खाते है तो खाने के पचने की संभावना बहुत कम होती है। आयुर्वेद में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि सूर्यास्त के बाद हमारी जठराग्नि मंद हो जाती है जिससे पेट में पड़ा खाना पचने के बजाये सड़ने लगता है जिसके कारण अपच, एसिडिटी और गैस जैसी समस्या होना लाज़िमी है।
इसलिए कोशिश करे कि जितना जल्दी संभव हो रात का भोजन कर लेना चाहिए। कोशिश ये होनी चाहिए कि 7 बजे तक रात्रि भोजन कर लें। अगर देर रात भोजन करना ही पड़े तो इतना जरूर करे कि बहुत ही हल्का और सुपाच्य आहार ले जिससे की पेट भारी ना लगे। खाने और सोने के बीच में तीन घंटे का अंतर रखे साथ ही रात्रि भोजन के बाद 1000 कदम जरूर चले।
3. अधिक मात्रा में भोजन करना :
बहुत अधिक मात्रा में किया गया भोजन भी सिर्फ परेशानी ही लाता है। किसी भी मशीन से अगर क्षमता से अधिक मात्रा में काम लिए जायेगा तो निःसन्देश मशीन में खराबी आएगी ही। हमारे पेट के साथ भी कुछ ऐसा ही है, इसलिए आपको अपने जरुरत के अनुसार एक बार में उतना ही भोजन करना चाहिए जो पेट आसानी से पचा सके। अधिक मात्रा में किया गया भोजन पचने के बजाये पेट में सड़ता ही है फिर चाहे देर रात खाये या सुबह जल्दी। इसलिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर दिन में कई बार खा सकते है। एक बार में ही अत्यधिक भोजन करने पर मोटापा बढ़ने लगता है और पेट भी जल्द बाहर आना शुरू हो जाता है।
बहुत अधिक मिर्च मसाले वाले खाने से बचना चाहिए। नहीं तो acidity के साथ अल्सर (Ulcer ) होने की भी संभावना रहती है। इसके अलावा खाने में फाइबर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें ताकि खाना अच्छे से पच सके और कब्ज जैसी बीमारी ना होने पाए। आयुर्वेद में बहुत अधिक गर्म भोजन ना करने की सलाह दी जाती है। इसलिए देखा होगा कि एसिडिटी होने पर गर्म भोजन करने पर हर निवाले के साथ पानी पीना पड़ता है अन्यथा सीने में तेज़ जलन होती है।
सबसे अहम् बात ये कि खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए नहीं तो जठराग्नि मंद पड़ जाती है और पेट में खाना पचने के बजाये सड़ने लगता है । खाने के तुरंत बाद जूस या छांछ पी सकते है किन्तु ये भी अत्यधिक ठंढा नहीं होना चाहिए।
4. शराब ना पिए या कम मात्रा में पीये :
अगर आपको शराब पीने की लत है तो आपको तत्काल इसे छोड़ देना चाहिए, शराब भी एसिडिटी होने का प्रमुख कारण है, अगर पीना ही पड़ जाये तो या बहुत ही कम मात्रा में और कभी कभार ही पियें ।
5. देर रात तक जागना
बहुत देर रात तक जागने से पेट में गैस और एसिडिटी होने स्वाभाविक है। दरसअल रात्रि विश्राम के लिए होता है, शरीर विश्राम अवस्था में होता है, किन्तु देर रात तक जागने के कारण भी पाचन क्रिया ( digestive system) काम पर पर लगा रहता है और खाली पेट में अम्ल आने पर खट्टी डकारे और गैस होने लगती है।
इसलिए जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालें
6. मॉर्निंग वाक, योग या एक्सरसाइज करें :
शहर की लाइफ स्टाइल ऐसी है कि हमारा शरीर श्रम कर ही नहीं पाता है। आज भी गांव के लोगो में एसिडिटी की बीमारी बहुत कम होती है। शरीर के अंग सुचारु रूप से काम कर सके इसके लिए शरीर श्रम मांगता है, जब हम कोई शारीरिक श्रम नहीं करते तो शरीर के अन्य अंगो के साथ हमारा पाचन क्रिया भी शिथिल हो जाता है।
इसलिए सुबह मॉर्निंग वॉक करे, योग करे, जिम जाये, या स्वीमिंग करे. जो आपको पसंद हो वो करे, किन्तु ध्यान रहे जो भी करे, पूरे मन से अच्छे से करें। इन सबमे सुबह की सैर सबसे उत्तम है। योग की ही तरह, मॉर्निंग वॉक (Morning Walk ) मन और शरीर दोनों पर असर डालता है। दिन में कम से कम 10,000 कदम जरूर चले. इससे आपका वजन नियंत्रित रहेगा और पाचन क्रिया भी दुरुस्त होगी।
7. खली पेट दही या पपीता खाएं और दोपहर भोजन में छांछ शामिल करें :
दही और पपीता पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद है। दोनों में से कुछ भी खाली पेट खाना चाहिए। दही में लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) बैक्टीरिया होती है जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाती और आँत को दुरुस्त रखने में मदद करती है। लंबे समय तक जब आप इनका सेवन करेंगे तो आप पाएंगे कि आपकी पाचन क्रिया में सुधार हो रहा है।
दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छांछ में पुदीना और अजवाइन डाल कर इसका सेवन करने से एसिडिटी और गैस में राहत मिलती है।
8. त्रिफ़ला :
सोने से पहले गुनगने पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला का सेवन करने से भी एसिडिटी में राहत मिलती हैं । त्रिफला में आंवला और हरड़ होता है और दोनों को पेट के लिए अमृत माना गया गया है. ( डॉक्टर की परामर्श से सेवन करें ) .
लब्बोलुआब ये है कि आपको अपना खान-पान और दिनचर्या में सुधार करने की जरुरत है, उपर दिए सुझावों पर अमल करेंगे तो आपको जरूर अच्छे परिणाम मिलेंगे. आप अपने शरीर का ख्याल रखेंगे तो ही स्वस्थ रहकर जीवन का आनंद ले पाएंगे ।
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Shukriya, umeed hai aap is blog par aate rahenge aur apko behtar jankariyan milengi